Comprehensive Texts
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प्राणप्रतिष्ठानमनोर्विधानं |
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प्रोक्त्वा पूर्वममुष्यशब्दमथ च प्राणा इह प्राणका |
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सृष्टिः सा जगतामनादिनिधना विश्वस्य चेष्टाकरी |
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नाभेर्देशादापदं पाशबीजं |
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प्राणे जीवे चैव हंसश्च |
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रक्ताम्बोधिस्थपोतोल्लसदरुणसरोजाधिरूढा कराब्जैः |
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ध्यात्वा देवीं प्रजपेदेवं लक्षं मनुं समाहितधीः। |
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शाक्ते पीठे देवीं षट्कोणस्थैः प्रजेशहरिरुद्रैः। |
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प्रयजेच्चतुर्भिरेवं परिवारैर्नित्यमेव निशितमनाः। |
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पाशाङ्कुशान्तरितशक्तिमनोः परस्ता |
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मृता वैवस्वता चैव जीवहा प्राणहा तथा। |
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बद्ध्वा साध्या पाशबीजेन शक्त्या |
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सुप्ताशेषजने निशीथसमये साध्ये स्वपित्यादरा |
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वायव्याग्नेयैन्द्रवारीण्महेश |
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स्वीये चैवं संस्मरेद्धृत्सरोजे |
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बीजानि रक्तानि तु वश्यकर्म |
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अथ वा साध्यप्राणा |
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प्राणप्रतिष्ठाकर्मैवं विधायैकादशापरम्। |
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आकृष्टानां साध्यदेहादसूनां |
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पाशाद्यत्रिकयुक्तमूलहृदयभ्रूमध्यसूत्रायिता |
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प्राणप्रतिष्ठाविधिरेवमुक्तः |