Devotional Hyms - Devi
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।।श्रीः।। |
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एतावदेव जननि स्पृहणीयमास्ते |
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ईशत्वनामकलुषाः कवि वा न सन्ति |
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लब्ध्वा सकृत्ित्रपुरसुन्दरि तावकीनं |
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ह्रींकारमेव तव नाम गृणन्ति वेदा |
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हन्तुः पुरामधिगलं परिपीयमानः |
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सर्वज्ञतां सदसि वाक्पटुतां प्रसूते |
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कल्पद्रुमैरभिमतप्रतिपादनेषु |
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हन्तेतरेष्वपि मनांसि निधाय चान्ये |
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लक्ष्येषु सत्स्वपि कटाक्षनिरीक्षणाना |
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ह्रींह्रीमिति प्रतिदिनं जपतां तवाख्यां |
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संपत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि |
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कल्पोपसंहृतिषु कल्पितताण्डवस्य |
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लग्नं सदा भवतु मातरिदं तवार्धं |
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ह्रींकारमेव तव नाम तदेव रूपं |
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हींकारत्रयसंपुटेन महता मन्त्रेण संदीपितं |