Devotional Hyms - Subramanya
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।।श्रीः।। |
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न जानामि शब्दं न जानामि चार्थं |
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मयूराधिरूढं महावाक्यगूढं |
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यदा संनिधानं गता मानवा मे |
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यथाब्धेस्तरङ्गा लयं यान्ति तुङ्गा |
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गिरौ मन्निवासे नरा येऽधिरूढा |
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महाम्भोधितीरे महापापचोरे |
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लसत्स्वर्णगेहे नृणां कामदोहे |
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रणद्धंसके मञ्जुलेऽत्यन्तशोणे |
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सुवर्णाभदिव्याम्बरैर्भासमानां |
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पुलिन्देशकन्याघनाभोगतुङ्ग |
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विधौ क्लृप्तदण्डान्स्वलीलाधृताण्डा |
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सदा शारदाः षण्मृगाङ्का यदि स्युः |
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स्फुरन्मन्दहासैः सहंसानि चञ्च |
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विशालेषु कर्णान्तदीर्घेष्वजस्रं |
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सुताङ्गोद्भवो मेऽसि जीवेति षड्धा |
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स्फुरद्रत्नकेयूरहाराभिराम |
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इहायाहि वत्सेति हस्तान्प्रसार्या |
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कुमारेशसूनो गुह स्कन्द सेना |
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प्रशान्तेन्द्रिये नष्टसंज्ञे विचेष्टे |
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कृतान्तस्य दूतेषु चण्डेषु कोपा |
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प्रणम्यासकृत्पादयोस्ते पतित्वा |
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सहस्राण्डभोक्ता त्वया शूरनामा |
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अहं सर्वदा दुःखभारावसन्नो |
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अपस्मारकुष्ठक्षयार्शःप्रमेह |
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दृशि स्कन्दमूर्तिः श्रुतौ स्कन्दकीर्ति |
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मुनीनामुताहो नृणां भक्तिभाजा |
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कलत्रं सुता बन्धुवर्गः पशुर्वा |
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मृगाः पक्षिणो दंशका ये च दुष्टा |
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जनित्री पिता च स्वपुत्रापराधं |
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नमः केकिने शक्तये चापि तुभ्यं |
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जयानन्दभूमञ्जयापारधाम |
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भुजङ्गाख्यवृत्तेन क्लृप्तं स्तवं यः |