Devotional Hyms - Devi
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।।श्रीः।। |
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कनकमयवितर्दिशोभमानं |
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कनककलशशोभमानशीर्षं |
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तपनीयमयी सुतूलिका |
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कनकमयवितर्दिस्थापिते तूलिकाढ्ये |
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मणिमौक्तिकनिर्मितं महान्तं |
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दूर्वया सरसिजान्वितविष्णु |
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गन्धपुष्पयवसर्षपदूर्वा |
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जलजद्युतिना करेण जाती |
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निहितं कनकस्य संपुटे |
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एतच्चम्पकतैलमम्ब विविधैः पुष्पैर्मुहुर्वासितं |
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मातः कुङ्कुमपङ्कनिर्मितमिदं देहे तवोद्वर्तनं |
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दधिदुग्धघृतैः समाक्षिकैः |
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एलोशीरसुवासितैः सकुसुमैर्गङ्गादितीर्थोदकै |
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बालार्कद्युति दाडिमीयकुसुमप्रस्पर्धि सर्वोत्तमं |
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नवरत्नमये मयार्पिते |
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बहुभिरगरुधूपैः सादरं धूपयित्वा |
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सौवीराञ्जनमिदमम्ब चक्षुषोस्ते |
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मञ्जीरे पदयोर्निधाय रुचिरां विन्यस्य काञ्चीं कटौ |
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धम्मिल्ले तव देवि हेमकुसुमान्याधाय फालस्थले |
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मातः फालतले तवातिविमले काश्मीरकस्तूरिका |
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रत्नाक्षतैस्त्वां परिपूजयामि |
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जननि चम्पकतैलमिदं पुरो |
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सीमन्ते ते भगवति मया सादरं न्यस्तमेत |
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मन्दारकुन्दकरवीरलवङ्गपुष्पै |
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मालतीवकुलहेमपुष्पिका |
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पारिजातशतपत्रपाटलै |
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लाक्षासंमिलितैः सिताभ्रसहितैः श्रीवाससंमिश्रितैः |
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रत्नालंकृतहेमपात्रनिहितैर्गोसर्पिषा लोडितै |
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मातस्त्वां दधिदुग्धपायसमहाशाल्यन्नसंतानिकाः |
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सापूपसूपदधिदुग्धसिताघृतानि |
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क्षीरमेतदिदमुत्तमोत्तमं |
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उष्णोदकैः पाणियुगं मुखं च |
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अतिशीतमुशीरवासितं |
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जम्ब्वाम्ररम्भाफलसंयुतानि |
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कूश्माण्डकोशातकिसंयुतानि |
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कर्पूरेण युतैर्लवङ्गसहितैस्तक्कोलचूर्णान्वितैः |
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एलालवङ्गादिसमन्वितानि |
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ताम्बूलनिर्जितसुतप्तसुवर्णवर्णं |
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महति कनकपात्रे स्थापयित्वा विशालान् |
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सविनयमथ दत्वा जानुयुग्मं धरण्यां |
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अथ बहुमणिमिश्रैर्मौक्तिकैस्त्वां विकीर्य |
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मातः काञ्चनदण्डमण्डितमिदं पूर्णेन्दुबिम्बप्रभं |
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शरदिन्दुमरीचिगौरबर्णै |
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मार्ताण्डमण्डलनिभो जगदम्ब योऽयं |
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इन्द्रादयो नतिनतैर्मकुटप्रदीपै |
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प्रियगतिरतितुङ्गो रत्नपल्याणयुक्तः |
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मधुकरवृतकुम्भन्यस्तसिन्दूररेणुः |
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द्रुततरतुरगैर्विराजमानं |
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हयगजरथपत्तिशोभमानं |
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परिघीकृतसप्तसागरं |
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शतपत्रयुतैः स्वभावशीतै |
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भ्रमरलुलितलोलकुन्तलाली |
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मुखनयनविलासलोलवेणी |
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भ्रमदलिकुलतुल्यालोलधम्मिल्लभाराः |
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डमरुडिण्डिमजर्झरझल्लरी |
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विपञ्चीषु सप्तस्वरान्वादयन्त्य |
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अभिनयकमनीयैर्नर्तनैर्नर्तकीनां |
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तव देवि गुणानुवर्णने |
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पदे पदे यत्परिपूजकेभ्यः सद्योऽश्वमेधादिफलं ददाति। |
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रक्तोत्पलारक्तलताप्रभाभ्यां ध्वजोर्ध्वरेखाकुलिशाङ्किताभ्याम्। |
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चरणनलिनयुग्मं पङ्कजैः पूजयित्वा |
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अथ मणिमयमञ्चकाभिरामे |
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एतस्मिन्मणिखचिते सुवर्णपीठे |
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तव देवि सरोजचिह्नयोः पदयोर्निर्जितपद्मरागयोः। |
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अथ मातरुशीरवासितं निजताम्बूलरसेन रञ्जितम्। |
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क्षणमथ जगदम्ब मञ्चकेऽस्मि |
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मुक्ताकुन्देन्दुगौरां मणिमयमकुटां रत्नताटङ्कयुक्ता |
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एषा भक्त्या तव विरचिता या मया देवि पूजा |
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पूजामिमां यः पठति प्रभाते |
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पूजामिमां पठेन्नित्यं पूजां कर्तुमनीश्वरः। |
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प्रत्यहं भक्तिसंयुक्तो यः पूजनमिदं पठेत्। |