Devotional Hyms - Shiva
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।।श्रीः।। |
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गलन्ती शंभो त्वच्चरितसरितः किल्बिषरजो |
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त्रयीवेद्यं हृद्यं त्रिपुरहरमाद्यं त्रिनयनं |
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सहस्रं वर्तन्ते जगति विबुधाः क्षुद्रफलदा |
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स्मृतौ शास्त्रे वैद्ये शकुनकवितागानफणितौ |
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घटो वा मृत्पिण्डोऽप्यणुरपि च धूमोऽग्निरचलः |
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मनस्ते पादाब्जे निवसतु वचः स्तोत्रफणितौ |
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यथा बुद्धिः शुक्तौ रजतमिति काचाश्मनि मणि |
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गभीरे कासारे विशति विजने घोरविपिने |
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नरत्वं देवत्वं नगवनमृगत्वं मशकता |
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वटुर्वा गेही वा यतिरपि जटी वा तदितरो |
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गुहायां गेहे वा बहिरपि वने वाद्रिशिखरे |
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असारे संसारे निजभजनदूरे जडधिया |
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प्रभुस्त्वं दीनानां खलु परमबन्धुः पशुपते |
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उपेक्षा नो चेत्किं न हरसि भवद्ध्यानविमुखां |
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विरिञ्चिर्दीर्घायुर्भवतु भवता तत्परशिर |
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फलाद्वा पुण्यानां मयि करुणया वा त्वयि विभो |
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त्वमेको लोकानां परमफलदो दिव्यपदवीं |
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दुराशाभूयिष्ठे दुरधिपगृहद्वारघटके |
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सदा मोहाटव्यां चरति युवतीनां कुचगिरौ |
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धृतिस्तम्भाधारां दृढगुणनिबद्धां सगमनां |
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प्रलोभाद्यैरर्थाहरणपरतन्त्रो धनिगृहे |
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करोमि त्वत्पूजां सपदि सुखदो मे भव विभो |
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कदा वा कैलासे कनकमणिसौधे सह गणै |
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स्तवैर्ब्रह्मादीनां जयजयवचोभिर्नियमिनां |
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कदा वा त्वां दृष्ट्वा गिरिश तव भव्याङ्घ्रियुगलं |
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करस्थे हेमाद्रौ गिरिश निकटस्थे धनपतौ |
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सारूप्यं तव पूजने शिव महादेवेति संकीर्तने |
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त्वत्पादाम्बुजमर्चयामि परमं त्वां चिन्तयाम्यन्वहं |
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वस्त्रोद्धूतविधौ सहस्रकरता पुष्पार्चने विष्णुता |
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नालं वा परमोपकारकमिदं त्वेकं पशूनां पते |
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ज्वालोग्रः सकलामरातिभयदः क्ष्वेलः कथं वा त्वया |
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नालं वा सकृदेव देव भवतः सेवा नतिर्वा नुतिः |
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किं ब्रूमस्तव साहसं पशुपते कस्यास्ति शंभो भव |
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योगक्षेमधुरंधरस्य सकलश्रेयःप्रदोद्योगिनो |
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भक्तो भक्तिगुणावृते मुदमृतापूर्णे प्रसन्ने मनः |
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आम्नायाम्बुधिमादरेण सुमनःसंघाः समुद्यन्मनो |
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प्राक्पुण्याचलमार्गदर्शितसुधामूर्तिः प्रसन्नः शिवः |
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धर्मो मे चतुरङ्घ्रिकः सुचरितः पापं विनाशं गतं |
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धीयन्त्रेण वचोघटेन कविताकुल्योपकुल्याक्रमै |
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पापोत्पातविमोचनाय रुचिरैश्वर्याय मृत्युंजय |
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गाम्भीर्यं परिखापदं घनधृतिः प्राकार उद्यद्गुण |
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मा गच्छ त्वमितस्ततो गिरिश भो मय्येव वासं कुरु |
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करलग्नमृगः करीन्द्रभङ्गो |
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छन्दःशाखिशिखान्वितैर्द्विजवरैः संसेविते शाश्वते |
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आकीर्णे नखराजिकान्तिविभवैरुद्यत्सुधावैभवै |
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शुंभुध्यानवसन्तसङ्गिनि हृदारामेऽघजीर्णच्छदाः |
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नित्यानन्दरसालयं सुरमुनिस्वान्ताम्बुजाताश्रयं |
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आनन्दामृतपूरिता हरपदाम्भोजालवालोद्यता |
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संध्यारम्भविजृम्भितं श्रुतिशिरःस्थानान्तराधिष्ठितं |
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भृङ्गीच्छानटनोत्कटः करिमदग्राही स्फुरन्माधवा |
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कारुण्यामृतवर्षिणं घनविपद्ग्रीष्मच्छिदाकर्मठं |
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आकाशेन शिखी समस्तफणिनां नेत्रा कलापी नता |
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संध्या घर्मदिनात्ययो हरिकराघातप्रभूतानक |
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आद्यायामिततेजसे श्रुतिपदैर्वेद्याय साध्याय ते |
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नित्याय त्रिगुणात्मने पुरजिते कात्यायनीश्रेयसे |
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नित्यं स्वोदरपूरणाय सकलानुद्दिश्य वित्ताशया |
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एको वारिजबान्धवः क्षितिनभोव्याप्तं तमोमण्डलं |
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हंसः पद्मवनं समिच्छति यथा नीलाम्बुदं चातकः |
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रोधस्तोयहृतः श्रमेण पथिकश्छायां तरोर्वृष्टितो |
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अङ्कोलं निजबीजसंततिरयस्कान्तोपलं सूचिका |
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आनन्दाश्रुभिरातनोति पुलकं नैर्मल्यतश्छादनं |
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मार्गावर्तितपादुका पशुपतेरङ्गस्य कूर्चायते |
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वक्षस्ताडनमन्तकस्य कठिनापस्मारसंमर्दनं |
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वक्षस्ताडनशङ्कया विचलितो वैवस्वतो निर्जराः |
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क्रीडार्थं सृजसि प्रपञ्चमखिलं क्त्रीडामृगास्ते जना |
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बहुविधपरितोषबाष्पपूर |
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अमितमुदमृतं मुहुर्दुहन्तीं |
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जडता पशुता कलङ्किता |
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अरहसि रहसि स्वतन्त्रबुद्ध्या |
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आरूढभक्तिगुणकुञ्चितभावचाप |
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ध्यानाञ्जनेन समवेक्ष्य तमःप्रदेशं |
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भूदारतामुदवहद्यदपेक्षया श्री |
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आशापाशक्लेशदुर्वासनादि |
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कल्याणिनं सरसचित्रगतिं सवेगं |
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भक्तिर्महेशपदपुष्करमावसन्ती |
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बुद्धिः स्थिरा भवितुमीश्वरपादपद्म |
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सदुपचारविधिष्वनुबोधितां |
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नित्यं योगिमनःसरोजदलसंचारक्षमस्त्वत्क्रमः |
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एष्यत्येष जनिं मनोऽस्य कठिनं तस्मिन्नटानीति म |
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कंचित्कालमुमामहेश भवतः पादारविन्दार्चनैः |
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बाणत्वं वृषभत्वमर्धवपुषा भार्यात्वमार्यापते |
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जननमृतियुतानां सेवया देवतानां |
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शिव तव परिचर्यासंनिधानाय गौर्या |
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जलधिमथनदक्षो नैव पातालभेदी |
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पूजाद्रव्यसमृद्धयो विरचिताः पूजां कथं कुर्महे |
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अशनं गरलं फणी कलापो |
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यदा कृताम्भोनिधिसेतुबन्धनः |
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नतिभिर्नुतिभिस्त्वमीश पूजा |
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वचसा चरितं वदामि शंभो |
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आद्याविद्या हृद्गता निर्गतासी |
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दूरीकृतानि दुरितानि दुरक्षराणि |
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सोमकलाधरमौलौ |
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सा रसना ते नयने |
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अतिमृदुलौ मम चरणा |
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धैर्याङ्कुशेन निभृतं |
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प्रचरत्यभितः प्रगल्भवृत्त्या |
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सर्वालंकारयुक्तां सरलपदयुतां साधुवृत्तां सुवर्णां |
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इदं ते युक्तं वा परमशिव कारुण्यजलधे |
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स्तोत्रेणालमहं प्रवच्मि न मृषा देवा विरिञ्चादयः |