Preliminary Texts
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।।श्रीः।। |
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सदाशिवोक्तानि सपादलक्ष |
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सरेचपूरैरनिलस्य कुम्भैः |
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नादानुसंधान नमोऽस्तु तुभ्यं |
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जालन्धरोड्याणनमूलबन्धा |
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ओड्याणजालन्धरमूलबन्धै |
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उत्थापिताधारहुताशनोल्कै |
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बन्धत्रयाभ्यासविपाकजातां |
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अनाहते चेतसि सावधानै |
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सहस्रशः सन्तु हठेषु कुम्भाः |
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त्रिकूटनाम्नि स्तिमितेऽन्तरङ्गे |
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प्रत्याहृतः केवलकुम्भकेन |
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निरङ्कुशानां श्वसनोद्गमानां |
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न दृष्टिलक्ष्याणि न चित्तबन्धो |
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अशेषदृश्योज्झितदृङ्मयाना |
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अहंममत्वाद्व्यपहाय सर्व |
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नेत्रे ययोन्मेषनिमेषशून्ये |
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चित्तेन्द्रियाणां चिरनिग्रहेण |
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उन्मन्यवस्थाधिगमाय विद्वन् |
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प्रसह्य संकल्पपरंपराणां |
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निश्वासलोपैर्निभृतैः शरीरै |
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अमी यमीन्द्राः सहजामनस्का |
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निवर्तयन्तीं निखिलेन्द्रियाणि |
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प्रत्यग्विमर्शातिशयेन पुंसां |
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विच्छिन्नसंकल्पविकल्पमूले |
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विश्रान्तिमासाद्य तुरीयतल्पे |
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प्रकाशमाने परमात्मभानौ |
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सिद्धिं तथाविधमनोविलयां समाधौ |
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विचरतु मतिरेषा निर्विकल्पे समाधौ |