Preliminary Texts
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।।श्रीः।। |
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मूलं तरोः केवलमाश्रयन्तः |
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देहादिभावं परिमार्जयन्त |
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स्वानन्दभावे परितुष्टिमन्तः |
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पञ्चाक्षरं पावनमुच्चरन्तः |