Preliminary Texts
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 ।।निर्वाणमंजरी।।  | 
              
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 अहं नैव बालो युवा नैव वृद्धो न वर्णी न च ब्रह्मचारी गृहस्थः।  | 
              
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 अहं नैव मन्ता न गन्ता न वक्ता न कर्ता न भोक्ता न मुक्ताश्रमस्थः।  | 
              
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 यदंतर्बहिर्व्यापकं नित्यशुद्धं यदेकं सदा सच्चिदानंदकंदम्।  | 
              
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 यतः कालमृत्युर्बिभेति प्रकामं यतश्चित्तबुद्धींद्रियाणां विलासः।  | 
              
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 यदाकाशवत्सर्वगं शान्तरूपं परंज्योतिराकारशून्यं वरेण्यम्।  |