Comprehensive Texts
अथ प्रवक्ष्यामि च मासभेद |
यैः कुर्युरिष्टाप्तिनिविष्टचेष्टा |
मेषादिकं यच्च चतुष्कमादौ |
मेषादिकेषु त्रिगुणात्मकानि |
तानि त्रिषड्द्वादशकात्मकोक्तैः |
त्रिगुणितमपि यन्त्रमष्टपत्रा |
पद्मं चरोभस्थिरसंज्ञकेषु |
केशवमेषादीनां |
सुवर्णगोक्षीरजपाशिलाल |
इतीरिताश्चारुकिरीटहार |
धात्रर्यममित्रत्राख्या |
प्रथमं केशवधातृक |
पञ्चममपि विष्ण्वशं |
श्रीधरपौष्णं नवमं |
आदौ विधानेषु समेतमूर्ति |
वृषहरिवृश्चिककलशा |
प्रानुप्रोद्यत्स्वराष्टद्वितयवृतमहाबीजकं शक्तिलक्ष्मी |
गौरीन्दिरा रतिधृती |
हयरथगजभृत्यादी |
वर्णैराद्यैरमन्तैः समभिवृतमहाबीजमञ्मध्यराज |
नित्यानन्दा व्यापिनी व्योमरूपा |
सुरभिहयमहिषदासी |
प्रागच्छन्मात्रभिख्यालिपिपरिवृतबीजं स्वरावीतवृत्तं |
इन्द्राणी कौमारिका ब्रह्मजाता |
पाशाद्यष्टाक्षरार्णप्रतिपुटितमहाष्टाक्षरावेष्टितान्त |
रक्ता रमा कराली |
भूतिर्विभूतिरुन्नति |
ऊष्मार्णाष्टाक्षरावेष्टितहृदयमथ द्वादशार्णात्तकोणं |
पुष्टिस्तुष्टिर्धृतिरपि कृतिः शान्तिकान्तिप्रमोदा |
विपक्षनिग्रहं तेजो यशश्च धनसंगमम्। |
सर्गाद्यान्ताद्यमन्तैरभिवृतहृदयं दण्डिभिश्चापि हाही |
अत्रार्च्यो मधुसूदनस्त्वथ हृषीकेशाह्वयो मोहिनी |
आद्यैरावीतबीजं ग्रहवलययुतं हुंफडायुक्तकोणं |
प्राक्प्रोक्तैश्चक्राद्यै |
अक्लीबद्वादशाज्द्वादशलिपिवृतहृल्लेखमश्रिद्विषट्क |
चिद्रूपा चिन्मया चिन्ता |
द्राविणी मोहिनी चेति तृतीयेयं समावृतिः। |
षट्कोणाबद्धबाणासनविवरलसन्नारसिंहं तदन्तः |
हर्षाह्वा सुनदारुणा सगगना घोरा रमा द्राविणी |
मध्यस्थायाः परीतौ विलसदनुपरात्तस्वरप्राक्परार्धं |
मेधा हर्षा श्रद्धा |
स्वक्षेत्रवर्तिनः स्यु |
शक्तिश्रीकामबीजैः पुटितहरिहरब्रह्मभिश्चावृतान्त |
अच्युतकामिनिभानुमनोज्ञा |
अवनिपशुपुत्रसंपद |
व्यन्वेष्यद्ध्रस्वदीर्घाच्समभिवृतमहाबीजमश्रेषु षट्सु |
हृष्टिर्वृष्टिस्तुष्टिरिष्टा सुपुष्टिः |
एभिर्विधानैर्धरणीव्रतादि |
दीर्घायुषो मुख्यतरेन्दिराश्च |
एभिर्विधेयाः कलशाश्च तत्त |
कर्षोन्मिते च हाटक |
अभिषिच्य यन्त्रकनकं |
एषां यागविधीना |
प्रसीद भगवन्मह्यमज्ञानात्कुण्ठितात्मने। |
अज प्रसीद भगवन्नमितद्युतिपञ्जर। |
स्वसंवेद्यस्वरूपास्मदानन्दात्मन्ननामय। |
प्रसीद तुङग तुङ्गानां प्रसीद शिव शोभन। |
प्रसीद व्यक्त विस्तीर्ण विस्तीर्णानामणोरणो। |
गुरोर्गरीयः सर्वेश प्रसीदानन्य देहिनाम्। |
जय सुन्दर सौम्यात्मञ्जय शाश्वत शङ्खभृत्। |
जय चक्रगदापाणे जयाजय्य जनार्दन। |
जय पक्षिपतिच्छायानिरुद्धार्ककराकर। |
नमस्ते नलिनापाङ्ग नमस्ते नयनाञ्जन। |
नमः संभृतसर्वात्मन्नमः संभृतकौस्तुभ। |
नमो विभिन्नज्ञेयांश नमः स्मृतिपथातिग। |
विष्णवे त्रिदशारातिजिष्णवे परमात्मने। |
विश्वाय विश्ववन्द्याय विश्वभूतात्मने नमः। |
भुक्तिप्रदाय भक्तानां नमस्ते मुक्तिदायिने। |
देवेश कर्म सर्वं मे भवेदाराधनं तव। |
इति हवनजपार्चाभेदतो विष्णुपूजा |